अमिताभ ने बताई अपने सरनेम 'बच्चन' के पीछे की कहानी, बोले- यह किसी धर्म का प्रतिनिधि नहीं
टीवी डेस्क (किरण जैन). अमिताभ बच्चन का कहना है कि उनका सरनेम (बच्चन) किसी भी धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। उन्होंने यह बात 'कौन बनेगा करोड़पति' के करमवीर एपिसोड की शूटिंग के दौरान कही, जो महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर 2 अक्टूबर को टेलीकास्ट होगा। यह एपिसोड गांधीजी के फॉलोअर डॉ. बिंदेश्वर पाठक और दो साल से देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीत रहे इंदौर के नगर निगम कमिश्नर आशीष सिंह के साथ शूट किया गया। अमिताभ ने शूटिंग के दौरान कई रोचक खुलासे किए।
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अमिताभ ने 'केबीसी' के सेट पर बताया, "मेरा सरनेम बच्चन किसी धर्म से नहीं है। क्योंकि बाबूजी धर्म और जाति के खिलाफ थे। पहले हमारे परिवार का सरनेम श्रीवास्तव था। मुझे यह कहते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि 'बच्चन' सरनेम को इस्तेमाल करने वाला मैं परिवार का पहला व्यक्ति हूं। जब मैं किंडरगार्टन में प्रवेश ले रहा था, तब बाबूजी से मेरा सरनेम पूछा गया तो अपने तखल्लुस (उपनाम) को परिवार का सरनेम बनाने का फैसला लिया। जब जनगणना करने वाले आते हैं और मुझसे मेरा धर्म पूछते हैं तो मैं हमेशा जवाब देता हूं कि मैं किसी धर्म से नहीं हूं, मैं भारतीय हूं।"
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शूटिंग के दौरान जब बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि शौचालय साफ करने वालों के लिए कोई सम्मान नहीं मिलना चिंताजनक बात है। तब अमिताभ ने बाबूजी से जुड़ा रोचक किस्सा शेयर किया। उन्होंने कहा, "मैं बताना चाहता हूं कि बाबूजी अपने आसपास के लोगों का बहुत सम्मान करते थे। होली से जुड़ी हमारी एक परम्परा थी कि हर व्यक्ति सबसे बड़े और सम्मानित व्यक्ति के पैरों पर रंग डालकर इस त्योहार की शुरुआत करता था। बाबूजी उस इंसान के पैरों में रंग डालते थे, जिसने उत्सव की शुरुआत से पहले शौचालय साफ किया हो।"
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बिंदेश्वर को स्वच्छता का संकल्प लेते हुए सुलभ शौचालय नाम की मुहिम छेड़ने के लिए जाना जाता है। वे अब तक देश के 1749 शहरों में करीब 9500 पे एंड यूज शौचालयों का निर्माण कराया है और उनकी मुहिम के चलते 15 लाख से ज्यादा घरों में शौचालय बन चुके हैं।
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