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हर जन्मदिन पर धर्मेन्द्र को सताती है मां की याद, तैमूर-इनाया से बांग्ला में विश सुनना है शर्मिला की पूंजी

उमेश कुमार उपाध्याय/अमित कर्ण, मुंबई.बॉलीवुड की दो बेहद खास शख्सियतों का आज जन्मदिन है, ये हैं गुजरे जमाने के सुपरस्टार धर्मेंद्र और अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, अपनी जिंदगी के इस खास अवसर पर इन दोनों ने दैनिक भास्कर से अपने दिल की गहराइयों में छुपी कई बातें शेयर कीं।
    • आपके यहां हर जन्मदिन पर हवन के साथ दिन की शुरुआत करने की परंपरा है।

    हमारे यहां जन्मदिन पर हवन करने की परंपरा मेरी मां ने शुरू की थी। अब जन्म देनेवाली नहीं रही, तब जन्मदिन मनाने का मजा ही नहीं आता। बस मां को याद करते हुए पूजा हवन कर लेता हूं ।

    • बचपन में मां के साथ मनाए कुछ जन्मदिन की यादें ताजा करेंगे?

    मेरे जन्मदिन वाले दिन मेरी मां सबको इकट्ठा करती थीं। वह बोलती थीं कि आज सब लोग जल्दी उठकर रेडी रहना। वह बहुत प्यार करती थीं। थोड़ा अच्छे से यह सेलिब्रेशन मनाती थीं। हम बच्चों को अच्छा अच्छा खाना बनाकर खिलाती थीं। लिफाफे भी देती थीं। जन्मदिन पर जरूरतमंद की मदद करती थीं। मेरे पुराने कपड़े निकालकर जरूरतमंदों को दे आती थीं। मुझे तो बताती भी नहीं थीं और अलमारी खोलकर खुद ही कपड़े निकालकर लोगों को दे आती थीं। जब से मेरी मां गुजरी हैं, तब से वह इस दिन बहुत याद आती हैं। उनकी इतनी याद आती है कि बस उनकी तस्वीर को देखता ही रहता हूं। उस तस्वीर को सामने रखकर ही हवन करता हूं। मां के जाने का इतना गम है कि जन्मदिन के मामले को मैं थोड़ा लो ही रखता हूं।

    • आपको मां से इतना प्यार है। पिता के बारे में भी कुछ बताएं?

    पापा बहुत प्यार करते थे। लेकिन बाप दिखाता नहीं है। मां से भी कहीं ज्यादा बाप के अंदर प्यार होता है। वह अपने अंदर रखे रहते हैं दिखाते नहीं हैं। ऐसा ही मेरे पिता का मेरे प्रति प्यार था।

    • आपके बेटे-बेटी इस दिन आपके लिए क्या खास करते हैं?

    ऐसा कुछ नहीं है। हम सब वही गांव वाले हैं। हम इस बात को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं कि आज कोई खास दिन है। जिस तरह से गांव में लोग एक-दूसरे से प्यार से मिलते हैं, उस ढंग से ही जन्मदिन मनाते हूं। हमने तो यह सब गांव में कभी देखा भी नहीं था। मुंबई आकर जाना कि जन्मदिन मनाओ... यह भी करो, वह भी करो। यह लोगों की ड्रामेबाजी हैं। वह सब हम नहीं करते। हां नाती पोतों की खुशी के लिए इन्हें कहीं ना कहीं बाहर ले जाता हूं। इस बार कहां लेकर जाऊंगा, अभी तो कुछ तय नहीं है। मैं कभी भी प्लान करके कुछ नहीं करता हूं। मैं ऐसे ही चल पड़ता हूं।
    हां, यह जरूर है कि मेरे चाहने वाले भी एक दिन पहले से आने शुरू हो जाते हैं। लोग इतने प्यार से आते हैं उनका मन रखना पड़ता है। प्यार की दुआ प्यार से देना चाहिए। मैं नीचे उतरकर सब से मिलता हूं। जो मोहब्बत है उससे ज्यादा बड़ी चीज कुछ भी नहीं होती। वह हम सबके अंदर जी भर के भरी हुई है। खुद के लिए ही नहीं, सबके लिए मोहब्बत है। वह साफ झलकती है। उससे बड़ा जश्न क्या मनाएंगे।

    • क्या कभी फिल्म के सेट पर बर्थडे मनाने की'ड्रामेबाजी' हुई है?

    मेरा और शर्मिला टैगोर का बर्थडे एक ही दिन 8 दिसंबर को आता है। हम जब देवर, अनुपमा फिल्मों में काम कर रहेथे, तबसेट पर साथ में केक काटा था। पहलेमैं दादा मुनिवगैरह को बुला लाता था। आज भी मैं बर्थडे के दिन शर्मिलाको जरूर विश करता हूं। इस बार भी जरूर करूंगा। अगले दिन शत्रुघ्न सिन्हा का बर्थडे आता है। उनको भी विश करता हूं। उनको घर मिलने भी जाता हूं।

    • आज आपके जीवन की क्या प्राथमिकताएं हैं?

    सेहत और सुकून मेरी प्राथमिकताएंहैं। मैं आज भी अपने फार्म पर चला जाता हूं। काम करता हूं। दुआ करता हूं। सुकून के लिए पोएट्री लिख लेता हूं।

    • आपने फिल्मों से दूरी क्यों बना रखी है?

    देखिए, हर चीज का एक वक्त होता है। पहले मेरे जितना काम किसी ने किया नहीं होगा। मैं दो-दो शिफ्ट में काम करता था। अब ज्यादा काम मैं करता नहीं हूं।कहानियां भी बदल गई हैं। उम्र के हिसाब से सूटेबल रोल भी तो मिलना चाहिए।

    • एक्टिंग की दुनिया की कमी तो खलती होगी?

    ऐसा कुछ भी नहीं है। मुझे अभी भी नहीं लगता है कि मैं कभी एक्टर बना था या नहीं बना था। मैं तो यह सब भूल चुका हूं। शोहरत मेरे सिर पर नहीं चढ़ती, मुझे इंसानियत शोहरत से कहीं ज्यादा प्यारी है। अच्छा ह्यूमनबीइंग बनना बहुत बड़ी बात हो जाती है।



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      फिल्म 'चुपके चुपके' के एक सीन में धर्मेन्द्र और शर्मिला टैगोर


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